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डाक्टर बिशेषांक प्रतियोगिता हेतु लेखनी कहानी -02-Jul-2022 डाक्टर का फर्ज

                 "डाक्टर बिशेषांक"


         डाक्टर मनीष  अपने एक रिश्तेदा की बेटी की शादी मे शरीक हौने मुम्बई सेआये थे। उनके रिश्तेदार हरियाणा में रोहतक के पास एक गाँव मे रहते थे। उनके रिश्तेदार के पास अच्छी खासी जमीन थी और गाँव मे ही महलनुमा कोठी थी । उनके पास किसी बस्तु की कोई कमी नही थी।

      इसलिए उन्हौने कभी शहर में शिफ्ट हौने की सपने भी नही सोची थी। और उनका बिचार था कि जो गाँव के खानेए मे मजा है वह शहर में कहाँ है । शहर वाले थैली वाला दूध पीते है यदि उनको भैस का ताजा निकाला हुआ दूध पिला दिया तब वह बीमार हो जायेगा।

         जबकि हमारे बच्चे तो लोटा लेकर वहीं भैस के पास जाकर खडे़ होजाते है और वहाँ से दूध पीकर ही बापिस आते है। इस शुद्ध खाने पीने के कारण ही डाक्टर मनीष के रिश्तेदार  चौधरी सूरज सिह ने शहर जाने की सपने में भी नही सोची थी।

       डाक्टर मनीष को जब भी मुम्बई से यहाँ आना होता तब वह बहचत परेशान होजाते थे। वह जब भी आते तब चुपचाप ही आते थे किसी को इसकी खबर भी नही होती थी कि  डाक्टर साहिब हरियाणा जारहे है।

       इस बार भी ऐसा ही हुआ था।  उन्हौने अपने रिश्तेदार को भी नही बताया कि वह उस दिन आरहे है।
 
      डाक्टर मनीष ने अपनी पत्नी को दो दिन पहले ही भेज दिया था। डाक्टर मनीष की फ्लाइट मौसम खराब हौने के कारण बहुत लेट होगयी थी। वह दिल्ली  छै बजे पहुँची।।

       दिल्ली हवाई अड्डे से निकलने मे भी उनको दोघन्टे लग गये। न किसी का फौन आया और न उन्हौने किसी को फौन किया। जब वह आठ बजे के लगभग वहाँ से टैक्सी लेकर निकले।

उनकी टैक्सी को रोहतक तक पहुँचते ही बहुत अंधेरा होगया और उनका मौबाइल भी स्विच आफ होगया अब उनकी किसी से बात भी नही हो सक रही थी।

        उनको  रोहतक से गाँव जाना था वहाँ जाने के लिए सड़क भी सिंगल ही थी ।और सड़क भी जगह जगह टूटी हुई थी जिससे उनकी टैक्सी बहुत ही धीरे चल रही थी।

         रास्ते में एक छोटा सा गाँव पड़ता था । जब उनकी टैक्सी उस गाँव के बीच में होकर गुजर रही थी  वहाँ कोई सांड़ उनकी टैक्सी के सामने आगया और टैक्सी फुटपाथ से टकरागयी जिससे टैक्सी का काफी नुकसान होगया और टैक्सी  का रेडिएटर फट गया। अब टैक्सी  चलने के काबिल नही थी। वह गाँव भी छोटा सा था। वहाँ कोई मिकेनिक मिलने की सम्भावना भी नही थी। 

         उस रोड पर बाहन भी बहुत ही कम आते जाते थे। अब डाक्टर साहब को बहुत चिन्ता होगयी  । अब इतनी रात में कहाँ जायेगे।   अब वह सोच बिचार करने में लगे थे।

      उनको पास के घर में लाइट जलती दिखाई दी। उनको कुछ आशा की किरण नजर आई और डाक्टर साहब नज सोचा चलो इस घर पर जाकर आज रात को गुजारने की जगह माँगते है।

          डाक्टर मनीष ने उस घर की कुन्डी खटखटाई तो एक सज्जन ने दरवाजा खोला। उसने अपने सामने एक सुट बूट पहने व टाई लगाये सज्जन को देखा तो वह आश्चर्य से पूछने लगा," आपको किससे मिलना है ? "

        डाक्टर मनीष बोले,"  मेरी टैक्सी खराब होगयी है ।अब वह चलने  लायक नही है यहाँ कोई मिकेनिक को आप जानते हौ तो बतलाने का कष्ट करै। " 

      वह सज्जन ने जबाब दिया कि  यहाँ तो कोई मिस्त्री नही हैं आप कितने लोग है ?

     डाक्टर साहिब बोले," मै आकेला ही हूँ ड्राईबर तो अपनी गाडी़ मे ही लेट जायेगा। "

      "कोई बात नही आप मेरे घर सो सकते है ।  मेरे घर में दोही कमरे है। एक में मेरा बेटा लेटरहा है  एक मे आप सो सकते है। रात गुजारनी है बैसे भी हमें नींद कहाँ आनी है  । ", इतना कहकर उसकी आँखौ से आँसुऔ की धारा बहने लगी।

        " ऐसा क्या हुआ है जिससे तुम इतना रो रहे हो?"  डाक्टर मनीष ने पूछा।

          सर मेरा बेटा बहुत बीमार है मालूम नही उसे क्या बीमारी है रोहतक के डाक्टरौ ने यह कह दिया है कि आप इसे मुम्बई के डाक्टर मनीष को दिखाओ। अब मुझ गरीब के पास इतने पैसे कहाँ है जो इसे मुम्बई ले जा सकू। "

         डाक्टर मनीष  अपना नाम सुनकर बोले," क्या मै तुम्हारे बेटे की रिपोर्ट देख सकता हूँ। :

       उन्हौने उनको पूरी फाइल देदी। डाक्टर मुनीष  फाइल देखकर बोले," अब तुम्है कोई चिन्ता करने की आवश्यकता नही है और न इसे मुम्बई लेजाना है।" इतना कहकर वह बाहर खडी। गाडी़ से अपना बैग लेकर आये और उसमें से कुछ दवाई निकाल कर उनको दी और जाकर उनके बेटे को भी चैक किया। और बोले इसे यह दवाई खिलाओ। ईश्वर करेगा तब सुबह तक फायदा हो जायेगा। "

      वह सज्जन उनसे पूछने लगे," आप कौन है ? जो इतने विश्वास से कह रहे हो।"
   डाक्टर मुनीष बोले ," मै भी एक डाक्टर हूँ। हाँ आप मेरा मौबाइल चार्ज पर लगा सकते है।  "
            उन्हौने उनका मौबाईल व चार्जर लैकर उसे चार्ज हौने पर। लगा दिया। एवं ईश्वर का नाम लेकर अपने बेटे को दवा खिलादी।

          डाक्टर मुनीष वही स्टूल पर बैठगये । जब उनका मौबाइल चार्ज होगया तब उन्हौने गाँव मे फौन करके पूरी कहानी बताई और बोले मै सुबह इस बच्चे को लेकर रोहतक जाऊँगा और इसका आपरेशन करना है।

          सुबह वह उस बच्चे को लेकर जैसे ही रोहतक के मैडीकल पहुँचे और अपना परिचय दिया तब वहाँ के डाक्टर चनके पास आकर उनको पूछने लगे कि आप यहाँ कैसे।

    तब उन्हौने सब कहानी बताकर कहा  कि इस बच्चे का आपरेशन करना है जब उस बच्चे के माँ बाप को मालूम हुआ कि यह तो मुम्बई के प्रसिद्ध डाक्टर मुनीष ही है। आज उनको भगवान पर भरोसा होगया  कि वह हमारी  सहायता अवश्य करता है।

      जब उन्हौने उसका सफल आपरेशन कर दिया तब दोनौ पति पत्नी उनके पैरौ मे गिर पडे। और बोले,"  आप तो हमारे स्वयं भगवान बनकर आये। बैसे भी डाक्टर को आधा भगवान कहा जाता है आप तो हमारे लिए पूरे भगवान हो जिन्हौने स्वयं आकर हमारे बेटे को बचा लिया।

     डाक्टर साहिब बोले,"  सब ऊपर वाले की कृपा है। देखो मेरी टैक्सी भी तुम्हारे घर के पास खराब हुई।और मै तुम्हारे घर ही सहायता के लिए गया। यह सब ईश्वर की कृपा है उसका धन्यवाद  करो मेरा नही। मैने तो अपना फर्ज निभाया है । तुमने भी तो इतनी परेशानी मे मुझे सहायता करने से मना नही किया।। "

        इस तरह के डाक्टर बास्तब में भगवान कहने योग्य है लूटने वाले नही। जिस तरह करौना की दूसरी लहर मे मरीजौ को बहुत से डाक्टरौ ने लूटा था। हम सबको एक नजर से भी नही देख सकते  है उस समय बहुतसे भगवान भी बने थे।

      

डाक्टर विशेषांक प्रतियोगिता हेतु  रचना

नरेश शर्मा " पचौरी "

 02/07/2022

     









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4 Comments

Barsha🖤👑

11-Oct-2022 09:20 PM

Beautiful story

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Kusam Sharma

04-Jul-2022 04:44 PM

Nice

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Mohammed urooj khan

02-Jul-2022 12:16 PM

Nice

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